भगवान जन्म(अवतार) क्यों लेते हैं? भगवान क्या करने आते हैं संसार में?

भगवान के अवतार

चलो भगवान से पूछते हैं, आप क्यों जन्म लेते हैं। गीता ४.७ "राक्षसों को मारने केलिए, और धर्म की स्थापना केलिए।" तो क्योंजी राक्षसों को मारने के लिए भगवान जन्म लेते हैं, ये बात कुछ जमी नहीं। आप लोग ये सोच रहे होंगे की फिर रावण, कंश, सिसुपाल आदि को कौन मरता। तो इसका जबाब राम स्वयं ही दे रहे हैं, वाल्मीक रामायण में भगवान राम सुग्रीव से कह रहे हैं "मैं अगर अपनी ऊँगली के अगले भाग को बस हिला दूँ, तो आनत कोटि ब्रह्माण्ड के राक्षस मर जाये" और कहते है राम "लक्ष्मण ही पल भर में राक्षसों का नाश कर सकते हैं" इसलिए गीता ४.७ में भगवान ने जो कहाँ की मैं राक्षसों का नाश करने के लिए आता हूँ ये बात कुछ जच्ची नहीं। भगवान कहते है एक बात और है, "मैं साधुओं की रक्षा करने के लिये आता हूँ।" तो ये बात भी कुछ जमी नहीं, क्योंकि जब भगवान अवतार लेके नहीं आते, तब भी तो साधुओं की रक्षा होती हैं! और भगवान ने साधुओं के लिए कहाँ हैं गीता ९.२२ "जो मेरे सरणं में भक्ति करके आता है, मैं उनका योग-छेम वहम करता हूँ।" यहाँ प्राप्त को देना योग, प्राप्त की रक्षा करना छेम कहलाता है।

गीता ९.३१ "मैं चुनौती देता हूँ अर्जुन मेरे भक्त का पतन नहीं हो सकता क्योंकि मैं रक्षा करता हूँ।" तो जब भगवान रक्षा करते है तो अवतार लेने की क्या आवश्यकता। और अवतार लेके कहाँ-कहाँ रक्षा करेंगे क्योंकि बहुत ऋषि हैं। लेकिन फिर कहते हैं भगवान "की धर्म संस्थापन के लिए आते है।" लेकिन जब साधु रहेंगे तो धर्म भी रहेंगा। आपको आने की आवश्यकता नहीं क्योंकि आप(भगवान) साधु-संत की रक्षा करते हैं और साधु-संत जानते है धर्म-अधर्म क्या है और वहीं लोग प्रचार करते हैं। तो साधु-संत ने धर्म की रक्षा की।

तो गीता की ये बात कुछ जमी नहीं। तो भागवत से फिर पूछते हैं, क्यों आते हो अवतार लेकर? तो भागवत कहते है भगवान संसार में विनोद करने आते हैं, और इस बात पर वेदान्त भी मोहर लगता हैं। वेदान्त २.१.३३. "लोकवतु लीलाकैवल्यम्": अर्थात संसार में विनोद करने आते हैं। जैसे हम लोग घूमने जाते है वैसे ही भगवान आते है विनोद के लिए। लेकिन भगवान यहाँ क्यों आयेगे? यहाँ तो सब एक दुसरे के जान लेनेके पीछे पागल। यहाँ कहाँ उनका मनोरंजन होगा। संसारी आदमी का मनोरंजन नहीं हो पाता तो भगवान का कहाँ होगा। और तो और भगवान तो सदा आनंदमय रहते हैं तो उनको विनोद की क्या जरूरत तो ये बात भी जमी नहीं। ये बात जो वेदान्त में लिखा हैं, हाँ वो सही हैं, वो विनोद करने आते हैं लिकेन आपने भक्तों के साथ। गोपियाँ उदाहरण हैं इस बात की।

एक बात और हैं, भगवान जन्म लेते हैं की देखो जिस तरह से मैं जीवन व्यतीत कर रहा हूँ वैसे तुमभी करो। जैसे कोई व्यक्ति वेद पढ़ भी ले, तो वह जीवन में लागु कैसे करे। जैसे कोई व्यंजन पुस्तक को पढ़ कर रटले। सब कुछ उसे यद् है लेकिन खाना वो बना नहीं सकता। तो भगवान जैसे करते है वैसे हम लोग भी करे। ये बताने के लिए आते हैं। ये बात कुछ जमी है, क्योंकि भगवान के करने से हमभी करने लगे ये अनिवार्य नहीं हैं। आज आपने आप से पूछले की आपने कितना भगवान का अनुसरण किया हैं। और तो और कृष्णा अवतार में सिसुपाल ने १०० गाली दिया श्री कृष्ण को भरी सभा में और रामावतार में एक धोबी ने सीता जी पर लांछन लगा ही दिया। और अगर इस कलयुग में भगवान आवे तो भगवान के बाप कोभी हम लांछन लगा दे। तो ये भी बात जमी नहीं।

हाँ एक बात और हैं, कुंती कहती है, क्या कहती है? यहाँ पर जाये:- भगवान जन्म(अवतार) क्यों लेते है? निष्कर्ष

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