शिव-पार्वती विवाह में गणेश जी की पूजा का सच क्या है?

गणेश जी की पूजा

तुलसीदास जी ने लिखा कि शिव पार्वती विवाह में गणेश जी की पूजा की गई। अब हमारे मन में यह प्रश्न उठने लग जाता है कि अभी तो विवाह होने जा रहा है और विवाह के बाद गणेश जी पैदा हुए थे। तो यह कैसे हो सकता है कि विवाह के समय गणेश जी की पूजा की गयी हो। कुछ लोगों को लगता है कि यह बात गलत तुलसीदास जी ने लिख दी है।

लेकिन वास्तविकता यह है कि हिंदू धर्म में या सनातन धर्म में जो भगवान है वह नित्य है। नित्य का मतलब होता है जो सदा से थे सदा से हैं सदा रहेंगे। हमने अपने एक लेख में बतया है कि जन्म का मतलब? क्या श्री कृष्ण, श्री राम का जन्म हुआ था? इस लेख में बताया की जन्म का अर्थ होता है - प्रकट होना, या दोबारा नये सिरे से अस्तित्व में आना। तो दोबारा नये सिरे से अस्तित्व में भगवान आते है, और हम लोग (आत्मा भी) दोबारा नये सिरे से अस्तित्व में आते है। हम लोग (आत्मा) का और भगवान का निर्माण नहीं होता है। हम लोग (आत्मा) का और भगवान जन्म (प्रकट) होते है। किसी दिन बनते नहीं हैं।

भगवान के स्वरूप (ब्रह्मा विष्णु शंकर राम कृष्ण सीता राधा पार्वती सरस्वती लक्ष्मी गणेश) हैं वह एक दिन प्रकट हो जाते है। यह भगवान का स्वरूप भगवान ही होते है। इसलिए कोई भी भगवान छोटा बड़ा भी नहीं होता।

हमारे हिंदू धर्म में अनंत ब्रह्माण्ड की बात कही गई है। और अनंत ब्रह्माण्ड में अनंत ब्रम्हा विष्णु शंकर होते हैं। हर एक ब्रह्मांड में ब्रह्मा विष्णु शंकर होते हैं और उनमें फिर उमा, रमा, ब्रह्माणी या पार्वती, गणेशजी रहते हैं। तो अनंत ब्रह्माण्ड में कही न कही तो गणेश जी होंगे। तो उस गणेश जी की पूजा हो गयी।

यह भगवान ही स्वयं अनेक रूप धारण कर लेते हैं। वह भगवान ही ब्रह्मा बन जाते हैं विष्णु बन जाते हैं पार्वती बन जाते हैं शंकर बन जाते हैं। इसीलिए हिंदू धर्म में भगवान की अनेक स्वरुप है लेकिन वह सारे भगवान के स्वरुप एक हैं।

इसका मतलब कि ब्रह्मा विष्णु शंकर उमा रमा ब्रह्माणी गणेश यह भगवान ही है। लेकिन लीला में इन्होंने अनेक रूप धारण किया है। इसी प्रकार गणेश जी भी हमेशा से थे हमेशा से हैं हमेशा रहेंगे लेकिन लीला में एक दिन माता पार्वती और शंकर के पुत्र बने।

इसीलिए गणेश जी की पूजा हुए शिव पार्वती विवाह। क्योंकि वो विवाह से पहले भी थे। परन्तु अभी जिस ब्रह्माण्ड में हम लोग है इस ब्रह्माण्ड में गणेश जी प्रकट नहीं हुए थे। तो भगवान ने लीला के माध्यम से एक दिन माता पार्वती और शंकर के पुत्र रूप में भगवान ने गणेश जी को प्रकट कर दिया।

अवश्य पढ़े लीला क्या है? लीला का मतलब? भगवान की लीला की वास्तविकता।

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