शब्द प्रमाण क्या है और उसके प्रकार?

शब्द प्रमाण के प्रकार?
❛प्रमाण (भारतीय दर्शन) कितने प्रकार के होते हैं?❜ इस लेख में हमें आपको प्रत्यक्ष, अनुमान और उपमान प्रमाण के बारे में बताया। इसके अलावा एक प्रमाण होता है उसे कहते है शब्द प्रमाण। शब्दप्रमाण वो प्रमाण होता है, जिसके शब्द पर कोई संदेह (शक) न हो।

शब्द प्रमाण दो प्रकार का होता हैं।

१. नित्य (अनादि) २. सादि

नित्य (अनादि)

ऋग्वेद ८.७५.६ वेद परमात्मा की नित्य वाणी है इसलिए वेद नित्य है या अनादि है। अनादि या नित्य का अर्थ है जिसका आदि या आरंभ न हो। वेद को भगवान ने नहीं बनाया है। कहा जाता है भगवान का शब्द है। क्यों कहा जाता है? इसलिए क्योंकि भगवान के मुख से निकला है। भागवत २.२.१७ "❛माया❜ भगवान के सामने नहीं खड़ी हो सकती।' और क्योंकि माया अज्ञान है इसलिए भगवान में अज्ञान नहीं जा सकता। ❛वेद ४ प्रकार के दोषों से युक्त नहीं हैं। भ्रम, प्रमाद, विप्रलिप्सा और कर्णापाटव।❜ यह ४ दोष वेद में नहीं है, इसलिए वेद शब्द प्रमाण है, जिसके शब्द पर कोई संदेह नहीं हो सकता। अतएव वेद माया के आधीन नहीं है इसलिए वेद दिव्य (अलौकिक) है।


वेद विनिर्गतं वाणी हैं। विनिर्गतं मतलब जिसको किसी ने लिखा नहीं। और यह भी कहा जाता है कि वेद भगवान की वाणी है। लेकिन वास्तविक यह है कि, बृहदारण्यकोपनिषद् २.४.१० "भगवान के निश्वास से वेद प्रकटें हैं" इस बात को तुलसीदास ने कहा रामचरितमानस बालकाण्ड २०३ "जाकी सहज स्वास श्रुति चारी।" भगवान सो रहे थे, और वेद स्वास से निकल गए। अर्थात वेद मुख के स्वास से निकल गए। नाभि से ब्रह्मा निकला, और ब्रह्मा के सामने वेद प्रकट हो गए, हमको पढ़ो समझो और सृष्टि (ब्रह्माण्ड) बनाओ। भागवत २.९.५ ब्रह्मा वेद को नहीं समझ सका। तो भगवान ने कृपा की। तो भागवत "तेने ब्रह्म ह्रदा य अादि-कवये" ब्रह्मा के हृदय में भगवान बैठ के, ब्रह्मा जी को वेद का ज्ञान कराया। तो ऐसी वाणी है वेद वाणी, अनादि-नित्य। दोष शंका कलंक और ❛मनुषो के चार प्रकार के दोषों से रहित हैं।❜ तो क्योंकि वेद सदा से बने थे है और रहेंगे और वेदों में किसी भी प्रकार का दोष नहीं हैं इसलिए यह नित्य (अनादि) शब्दप्रमाण हैं।

सादि

सादि अर्थात एक दिन हुआ। जैसे सादि होता है वास्तविक संत (गुरु या महापुरुष या महात्मा) का। जैसे एक दिन वेदांत बना (वेद वायश ने बनाया), एक दिन भागवत बानी (वेद वायश ने बनाया), एक दिन रामायण बानी (तुलसीदास ने बनाया), एक दिन मीमांसा बानी (महिर्ष जैमिनी ने बनाया) ये सब शब्द प्रमाण है, क्योंकि इनमे जो ज्ञान है वो वेद के अंतर्गत हैं।

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