भक्ति क्या है? भक्ति की परिभाषा?
वेद, शास्त्र, पुराण, गीता आदि ग्रंथों में अनेकों प्रकार की भक्ति का वर्णन है - जैसे नवधा भक्ति, प्रेमा भक्ति, साधन भक्ति, देश भक्ति, मातृ (माता) भक्ति, पितृ भक्ति, गुरु भक्ति, देव भक्ति इत्यादि। लेकिन ये भक्ति देश, मातृ, पितृ, गुरु, देवता आदि के संदर्भ में परिभाषित हैं। किन्तु, प्रश्न यह है कि मूल रूप से भक्ति क्या है, भक्ति की परिभाषा क्या है? भक्ति शब्द का अर्थ क्या है? भक्ति शब्द का अर्थ क्या है? ‘भज्’ धातु में ‘क्तिन्’ प्रत्यय होने से भक्ति शब्द का निर्माण हुआ है। ‘भज् सेवायाम्’ - ‘भज्’ धातु का अर्थ है सेवा करना। इसलिए ‘भक्ति’ शब्द का अर्थ है ‘सेवा करना’। किसकी सेवा करना? जिसकी आप भक्ति कर रहे है, यानी अपने आराध्य की। वो आराध्य देश, मातृ, पितृ, गुरु, देव इत्यादि हो सकते है। जैसे देश की सेवा करना देश भक्ति, मातृ की सेवा करना मातृ भक्ति, पितृ की सेवा करना पितृ भक्ति, गुरु की सेवा करना गुरु भक्ति इत्यादि। भक्ति क्या है? ‘भजनम् भक्ति’ अर्थात् आराध्य का भजन भक्ति है। भजन भी ‘भज्’ धातु से बना है, जिसका अर्थ है ‘सेवा करना’। भजन रूपी सेवा शारीरिक से लेकर मानसिक तक है। इसम