जन्म का अर्थ? क्या श्री कृष्ण, श्री राम का जन्म हुआ था?
जन्म कौन लेता है?
संसार में केवल मनुष्य ही नहीं अपितु जीव-जंतु एवं महापुरुष भी जन्म लेते है। कुछ लोग जन्म कर्म-बंधन के कारण लेते है एवं कुछ लोग को कर्म-बंधन नहीं है परन्तु वो जीव के कल्याण के लिए जन्म लेते है। यह बात तो सभी जानते है कि जो जन्म लेता है वो मरता है।
जो जन्म लेता है उसका मृत्यु होता है?
ऐसा कहना गलत है। जो जन्म लेता हैं उसका नाश नहीं होता। भगवान ने जन्म लिया था, श्री कृष्ण ने स्वयं कहाँ है गीता में-
श्री भगवानुवाच
बहूनि मे व्यतीतानि जन्मानि तव चार्जुन।
तान्यहं वेद सर्वाणि न त्वं वेत्थ परन्तप॥
- गीता ४.५
अर्थात् :- भगवान श्री कृष्ण ने कहा - हे परन्तप अर्जुन मेरे और तेरे बहुत से जन्म हो चुके हैं। उन सबको मैं जानता हूँ पर तू नहीं जानता।
इस गीता के श्लोक से यह प्रतीत होता है कि जन्म शब्द निर्माण करना नहीं हो सकता। क्यों? इसलिए क्योंकि श्री कृष्ण बहुत से जन्मों की बात कह रहे है। अगर जन्म का अर्थ निर्माण माने तो, इसका मतलब की हमारा बहुत बात निर्माण हुआ है - यह बात कहना गलत है। क्योंकि आत्मा का नव निर्माण नहीं हुआ करता। क्योंकि गीता २.२४ “नित्यः सर्वगतः स्थाणुरचलोऽयं सनातनः।” के अनुसार यह आत्मा नित्य, अचल और सनातन है।
हम लोग जन्माष्टमी मनाते हैं - श्री कृष्ण का जन्म दिवस। तो श्री कृष्ण का फिर नाश भी होनी चाहिए। लेकिन अगर श्री कृष्ण का नाश होता तो फिर भगवान नहीं रहे। श्री कृष्ण मरे नहीं यह बात स्वयं भागवत पुराण ने कहा है। भगवान मनुष्य और जीव-जंतु सब जन्म लेते है। लेकिन जो हम लोग ये बोलते हैं की जो जन्म लेता है उसका नाश होता है! ये बात गलत है। ऐसा क्यों? इसके लिए सर्वप्रथ जन्म शब्द का अर्थ क्या है यह समझते है।
जन्म शब्द का अर्थ?
जन्म शब्द जनि धातु से बनता है और जनि का अर्थ है प्रादुर्भाव। प्रादुर्भाव अर्थात् प्रकट होना या दोबारा अस्तित्व में आना। अतएव प्रकट भगवान भी होते है और हम आत्मा भी। ये बात अलग है कि हम माया के आधीन आत्मा! कर्म-बंधन के कारण किसी शरीर में प्रकट होती है और भगवान किसी पेट में, किसी शरीर में एवं किसी कर्म-बंधन के कारण प्रकट नहीं होते, वो स्वेक्षा से प्रकट होते शरीर सहित। श्री राम का जन्म और श्री कृष्ण का जन्म भी माँ के पेट से नहीं हुआ वो शरीर सहित प्रकट हुए।
अतएव अगर "भये प्रगट कृपाला दीनदयाला" - श्री राम। तो हम लोग भी भये प्रकट ‘आकाश’ है, आप भी हैं। क्योंकि हम आत्मा हैं। हम माँ के गर्भ में आये! बनाये नहीं गए। हम-लोग ७वे महीने शरीर में प्रकट होते हैं। ७वे महीने के बाद बच्चा में चेतना आती हैं, क्योंकि आत्मा चेतन हैं। उससे पहले वो बच्चा चेतनत्व अवस्था में नहीं होता।
नाश शब्द का अर्थ?
संस्कृत में नश धातु से नाश शब्द बनता है। नाश शब्द का अर्थ होता है अदर्श अर्थात् अलक्षित हो जाना, गायब हो जाना। अतएव हम लोग जन्म लेने और बाद में मर गए। मर गए तो क्या हुआ? हम लोग अलक्षित हो गए। "आज वो चला गया" शरीर छोड़ कर चला गया। तो हम लोग शरीर छोड़ के जाते है। हमारी मृत्यु नहीं होती। शरीर की मृत्यु होती है। हम लोग अपने-आपको शरीर मानते है, इस वजह से समझने में भूल हो गयी है। मृत्यु अर्थात् समाप्ति। लेकिन हमारी समाप्ति यानी आत्मा की समाप्ति तो नहीं होती। हम कर्म-फल भोगने के लिए फिर आते है, जाते है। शरीर की मृत्यु होती है, आत्मा का नहीं।
अतएव हम सदा से थे, हैं एवं रहेंगे। शरीर का मिलना तो तब-तक लगा रहेगा, जबतक हम मुक्त नहीं हो जाते। जन्म हमारा भी है और श्री राम काभी है। दोनों के जन्म के कारण में अंतर है। भगवान जन्म(अवतार) क्यों लेते हैं? भगवान क्या करने आते हैं संसार में?