You Might Also Like
देवताओं द्वारा माता देवकी गर्भ-स्तुति। - भागवत पुराण
भगवान वसुदेवजी के मन में आकर उनके मन से देवकीजी के मन में आ गए। वे प्राकृत जीवों की भांति गर्भस्थ नहीं हुए। यद्यपि देवकीजी को लीला से गर्भस्थिति सी प्रतीत हुई। एक दिन देवताओं ने कंस के कारागार में आकर स्तुति की जो ‘गर्भस्तुति’ के नाम से विख्यात है।
ब्रह्मा भवश्च तत्रैत्य मुनिभिर्नारदादिभिः।
देवैः सानुचरैः साकं गीर्भिर्वृषणमैडयन्…
देवैः सानुचरैः साकं गीर्भिर्वृषणमैडयन्…
संचित कर्म, प्रारब्ध कर्म और क्रियमाण कर्म क्या है?
कर्म क्या है? - यह हमने पहले ही अपने लेख में बता दिया है कि मूल रूप से ‘कर्म’ को ‘क्रिया’ कहते है। यानी शरीर, वाणी और मन से की गयी क्रिया कर्म है। एवं इसी ‘क्रिया’ रूपी ‘कर्म’ को ध्यान में रखते हुए शास्त्र, वेद, गीता, पुराण आदि ने कर्म-अकर्म, शुभ-अशुभ कर्म, कर्मयोग, कर्म-बंधन आदि की व्याख्या की है। उदाहरण के लिए कर्म-बंधन प्रकरण …
प्रस्थानत्रयी क्या है? ग्रंथों के नाम
प्रस्थानत्रयी क्या है, इसका अर्थ तथा कौन से ग्रंथ प्रस्थानत्रयी के अन्तर्गत है और क्यों? इस लेख में, हम प्रस्थानत्रयी से सम्बंधित इन प्रश्नों पर विस्तार से जानेंगे। प्रस्थानत्रयी सनातन धर्म का वह भाग है जो किसी सिद्धांत को सिद्ध करता है। यदि किसी सिद्धांत को प्रस्थानत्रयी द्वारा सिद्ध नहीं किया जाता है, तो वह सिद्धांत मान्य नहीं…
दर्शन क्या है?
दर्शन क्या है, इसका अर्थ, यह ‘Philosophy’ से कैसे भिन्न है, हमारे जीवन में इसका क्या महत्व है, एक दार्शनिक होना क्या होता है? हम इन सभी विषयों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
'Philosophy’ शब्द का अर्थ
प्रायः लोग ‘Philosophy’ को ‘दर्शन’ समझते है। किन्तु, यह सत्य नहीं है। ‘Philosophy’ ग्रीक के शब्द ‘Philo और Sophia’ से बना है। जिन…