भगवान शिव कौन है? ये जीव है? महापुरुष है? परमपुरुष है?

भगवान शंकर कौन है?

भगवान शंकर के लिए अनेक बातें शास्त्रों-वेदों में कही गयी हैं। यह भी लिखा की शिव अदिव्तीय ब्रह्म है। और ये भी लिखा है, ये भगवान नहीं है यह भगवान के गुणा-अवतार हैं। गुणा अवतार अर्थात विष्णु सत्त्व-गुण के अवतार, ब्रह्मा राजो-गुण और शिव तमो-गुण के अवतार। ये दिव्य गुणो के अवतार की बात है। जो हम लोगों पर सत्त्व, राजस, तामस गुण है, ये माइक(माया) गुण हैं।

ब्रह्मा, शंकर, विष्णु ये भगवान के अवतार हैं। भगवान के अवतार सदा भगवत स्वरूप होते हैं। आवर्तों में कोई छोटा बड़ा नहीं होता। भगवान के अवतार की बात छोड़ो, नारद भक्ति सूत्र ४१ भगवान और महापुरुष में अंतर नहीं होता तो आवतारो में क्या होगा। तो ग्रंथकारों ने भगवान शंकर को अवतार माना और कुछ महापुरुषों ने महापुरुष माना सब साधारण जिव की तरह।

महारास में भगवान शिव जी गए थे।

जैसे गोपिओं को महारास का आनंद मिला वैसे ही भगवान शंकर भी महारास में गए थे। जब शंकर जी महारास में गए, तब वहाँ पर गोपिओं ने उनको अंदर आने नहीं दिया। गोपियाँ राधा जी के पास गई और पूछा "की शंकर जी आये हुए है, और वो अंदर आना चाहते हैं।" तब राधा जीने कहाँ "उनसे बोल देना अगर वो आना चाहते है तो स्त्री रूप धारण करके आवे।" आप लोग जानते ही होंगे, गोपेश्वर शंकर भगवान को, ब्रिज में उनका मंदिर हैं।

महारास में भी शंकर जी गए। जहाँ अधिकारिणी गोपियाँ गयी, वहाँ भगवान शंकर भी गए। अर्थात जो महापुरुष की सर्वोच्च अवस्था हैं समर्था-रति वाला माधुर्य भाव का रास वो भगवान शंकर को मिला। हाँ! तो भगवान शंकर अदिव्तीय ब्रह्म है, या अदिव्तीय ब्रह्म के अवतार है, या जीव होते हुए भी सिद्ध महापुरुष हैं नित सिद्ध। शंकर जी को साधन सिद्ध नहीं कहाँ जा सकता, साधन सिद्ध अर्थात एक दिन वो माया मुक्त हुए भगवान की साधना करके। इतने निचे हम नहीं आ सकते और वैसे भी वो ब्रह्मा से उत्पात हुए है तो साधन सिद्ध होने का सवाल ही नहीं उठता। तो शंकर जी या तो नित सिद्ध हैं, या तो अदिव्तीय ब्रह्म है, या वो अदिव्तीय ब्रह्म के अवतार हैं।

श्री कृष्ण की मुरली भगवान शंकर है।

आप लोग जो श्री कृष्ण में हाथ में मुरली देखते है, ये भगवान शंकर ही मुरली बने थे। अब सोचिए, एक तरफ तमो गुण ब्रम्हांड नायक, और एक तरफ ऐसी मुरली की गोपिओं और बड़े-बड़े परमहंस भागे चलेआ रहे हैं।

भगवान और शिव में अंतर?

ये सब लीला छेत्र की बाते हैं। भगवान अनेक रूप धारण करके आते हैं। वस्तुतः भगवान और शिव में कोई अंतर नहीं। राम, शिव की स्थापना करते है रामेश्वरम में और पूजा भक्ति करते हैं। श्री कृष्ण, शिव की भक्ति करते है, शिव श्री कृष्ण की भक्ति करते हैं। ये सब लीला छेत्र की बातें हैं। इसमें छोटे-बड़े की बात कोई मत सोचना। जैसे पानी भाप बर्फ एक ही है, केवल उनका स्वरूप बदल जाता है। वैसे ही, चाहे कोई शिव की उपासना करे, चाहे राम की करे, चाहे कृष्ण की करे सब माया से मुक्त होंगे।

तो शंकर अदिव्तीय ब्रह्म भी है, गुणा-अवतार भी हैं, वे परमपुरुष भी हैं, लेकिन महापुरुष नहीं क्योंकि वो एक दिन नहीं मुक्त हुए। सदा से मुक्ति थे है और रहेगे क्योंकि शिव अदिव्तीय ब्रह्म हैं क्योंकि भगवान के अवतार सदा भगवत स्वरूप होते हैं।

अवश्य पढ़े सबसे बड़े भगवान कौन है, राम कृष्ण शंकर या विष्णु? और भगवान के सभी अवतार एक ही है, कैसे? भगवान के अवतार

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