दान कितने प्रकार के होते? किस दान का क्या फल मिलता हैं?
दान के चार प्रकार होते है। अगर सही जगह दान नहीं किया जाये, तो उसका फल नर्क भी हो सकता है। दान मनुष्य को नर्क, मृत्युलोक, स्वर्ग और भगवान की कृपा प्रदान करा सकता है।
दान चार प्रकार के होते है।
आप संछेप में दान के दो प्रकार भी कह सकते है, एक तो माया के निमित किया गया दान और दूसरा भगवान के निमित किया गया दान। लेकिन विसरतार पूर्वक दान के चार प्रकार है। क्योंकि एक तो माया है जिसके ३ गुण है और एक भगवान है। दान के प्रकार हैं -
१. सात्विक
२. राजस
३. तामस
४. हरि (भगवान्) और हरिजन (संत, महात्मा, महापुरुष, भक्ति जिन्होंने भगवान के दर्शन कर लिया हो जैसे तुलसीदास, सूरदास, मीरा, तुकाराम इत्यादि)
१. सात्विक : - अगर सात्विक व्यक्ति को दान करोगे, तो स्वर्ग मिलेगा।
२. राजस :- अगर राजसी व्यक्ति को दान करोगे तो राजसी फल मिलेगा।
३. तामस :- अगर तामसी व्यक्ति को दान करोगे तो नर्क मिलेगा। कयोंकि उस व्यक्ति ने उस पैसे का दुरुपयोग किया तो आप भी उस अपराध में भागीदारी हुए।
यह तीनों दान नश्वर है।
४. हरि और हरिजन :- अगर भगवान के निमित्त दान करोगें तो भगवत कृपा मिलेगी, भगवान की वस्तु मिलेगीं। यानि दिव्य आनंद मिलेगा। दान के ही फल से हरिश्चन्द्र महापुरुष हो गए और गोलोक गए। ऐसे ही बलि भी है। इन्होने कोई तपस्या नहीं की केवल दान के बल से भगवत कृपा प्राप्त की।
तो भगवान के निमित दान किया दान सर्वोच्च है। इसलिए जहाँ तक हो सके भगवान के निमित ही दान करना चाहिए। भल्ले ही हम एक रुपया ही दान करे।