भगवान ने संसार किस लिये बनाया हैं? संसार में सुख है! दुःख नहीं! क्योंकि वेद कहता है।
आप लोग प्रायः कहते है, कि संसार में दुःख हैं सुख नहीं और भगवान में सुख हैं। ऐसा नहीं है! संसार में दुःख नहीं है, संसार भगवान् ने बनाया हैं। तो भगवान् आपने बच्चे के लिए ऐसा संसार बनाएंगे जिससे उनके बच्चे को दुःख मिले? भगवान् ने संसार किस लिये बनाया हैं? भगवान ने संसार तो कृपा करके इसलिए बनाया है, कि हमारा शरीर, इस संसार के सामान से, पृत्वी , जल ,वायु , तेज , पोषक (विटामिन ) , इससे ठीक-ठीक पल सके, ठीक-ठीक चल सके। ताकि आप भगवान साधना करसके और आपने लक्ष्य को प्राप्त करसके।
वेद कहता है ब्रह्मोपनिषत् २.२२ अगर संसार में दुःख होता तो संत महात्मा को भी मिलता। लेकिन उनको तो कोई दुःख नहीं मिलता, इससंसार में रहते है, सदा आनंदमय रहते है। वेद तो स्पष्ट रूप से कहता है सत्यायनी उपनिषद् २५, गीता २.७१ , अगर आप की सभी कामनाये चली जाये तो इसी संसार में आप आनंदमय हो जाये। बृहदारण्यक उपनिषद् ४.४.७, भागवत ७.१०.०९ , ये मन्त्र, सलोक बोल रहे है, की कामना के कारण आपसब को दुःख मिलरहा हैं, संसार में दुःख नहीं हैं।
क्योंकि जो ज्ञानी है, उसको आनंदमय है संसार। गोपियों का क्या हाल था जित देखूँ उत श्याम मई है, ऐसे ही, निराकार ब्रम्ह के उपासकको सबओर मैं-मैं की अनुभूति होती हैं। भक्तो को श्वेताश्वतरोपनिशद ३.१५, भागवत २.६.१५, सभी ओर भगवान ही दिखाई पड़ते हैं। इसी संसार में तुलसीदा, मीरा तुकाराम, सूरदास, को कोई दुःख नहीं मिला। तो संसार में दुःख नहीं है! ये हमारे अज्ञान के कारण मिल रहा हैं। क्या अज्ञान है? कामना का। हमने आपने-आप को शरीर मान लिया, फिर शरीर के विषयों को आपन मन लिया। फिर बुद्धि में ये निर्णय कर लिया यहां सुख है इसलिए आसक्त होगया, इसलिए राग हुआ फिर द्वेष हुआ, और फिर दुःखो का भंडार टूट पड़ा। ये नियम है कि जिसकी जहाँ आसक्ति होगी, उसीकी कामना होगी और जिसकी कामना होगी उसकी पूर्ति में आनंद(सुख) मिलेगा, और लोभ पैदा होगा। कामना की पूर्ति नहीं हुई तो दुःख मिलेगा, और क्रोध पैदा होगा।
अब मूल कारण समझो क्यों संसार में दुःख नहीं हो सकता तैत्तिरीय उपनिषद्(३.६.1), आनंद से संसार उत्पन्यन हुआ है, आनंद से संसार का पालन होता है, और आनंद में संसार लीन(लय) हो जाता हैं, आनंद ही ब्रम्ह है। आनंद ही भगवान् है। हाँ तो इस संसार में आनंद ही आनंद है, सूरदास जी कहते है धोबी खड़ा धोबी घाट में, फिर भी पानी को तरसे। लेकिन क्या कारण है कि हमें आनंद नहीं मिल रहा है। इस बात पर फिर कभी चर्चा करेगे। बोलिए उमापति महादेव की जय।