नवरात्रि | नवरात्र

नवरात्र

नवरात्र एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ होता है 'नौ रातें'। इन नौ रातों और दस दिनों के दौरान, शक्ति/देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है। माता भगवती की आराधना का श्रेष्ठ समय नवरात्र होता है। नवरात्र वर्ष में चार बार आता है। वर्ष के चार नवरात्रों में चैत्र, आषाढ़, आश्विन और माघ की शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक नौ दिन के होते हैं, परंतु प्रसिद्धि में चैत्र और आश्विन के नवरात्र ही मुख्य माने जाते हैं। इनमें भी देवीभक्त आश्विन के नवरात्र अधिक करते हैं। इनको यथाक्रम वासन्ती और शारदीय नवरात्र भी कहते हैं। शारदीय नवरात्र में ही जगह-जगह गरबों की धूम रहती है। इनका आरम्भ चैत्र और आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से होता है। नवरात्र के नौ रातों में तीन देवियों - महालक्ष्मी, सरस्वती और दुर्गा के नौ स्वरुपों की पूजा होती है जिन्हें नवदुर्गा कहते हैं।

चैत्र और अश्विन माह के नवरात्रों के अलावा भी वर्ष में दो बार गुप्त नवरात्रे आते हैं। पहला गुप्त नवरात्रा आषाढ शुक्ल पक्ष व दूसरा गुप्त नवरात्रा माघ शुक्ल पक्ष में आता है। आषाढ़ और माघ मास में आने वाले इन नवरात्रों को गुप्त विधाओं की प्राप्ति के लिये प्रयोग किया जाता है। इसके अतिरिक्त इन्हें साधना सिद्धि के लिये भी प्रयोग किया जा सकता है। तांन्त्रिकों व तंत्र-मंत्र में रुचि रखने वाले व्यक्तियों के लिये यह समय और भी अधिक उपयुक्त रहता है। गृहस्थ व्यक्ति भी इन दिनों में माता की पूजा आराधना कर अपनी आन्तरिक शक्तियों को जाग्रत करते हैं।

नौ देवियाँ है :-

नवदुर्गा
  1. शैलपुत्री
  2. ब्रह्मचारिणी
  3. चंद्रघंटा
  4. कूष्माण्डा
  5. स्कंदमाता
  6. कात्यायनी (ये वही कात्यायनी देवी है, जिनकी उपासना कर गोपियों ने कृष्ण को पति के रूप में माँगा था।)
  7. कालरात्रि
  8. महागौरी
  9. सिद्धिदात्री

इनका नौ जड़ी बूटी या ख़ास व्रत की चीज़ों से भी सम्बंध है, जिन्हें नवरात्र के व्रत में प्रयोग किया जाता है-

  1. दुर्गा मेला, नवरात्र, वाराणसी
  2. कुट्टू (शैलान्न)
  3. दूध-दही
  4. चौलाई (चंद्रघंटा)
  5. पेठा (कूष्माण्डा)
  6. श्यामक चावल (स्कन्दमाता)
  7. हरी तरकारी (कात्यायनी)
  8. काली मिर्च व तुलसी (कालरात्रि)
  9. साबूदाना (महागौरी)
  10. आंवला (सिद्धिदात्री)
क्रमश: ये नौ प्राकृतिक व्रत खाद्य पदार्थ हैं।

नवरात्र या नवरात्रि

संस्कृत व्याकरण के अनुसार नवरात्रि कहना त्रुटिपूर्ण हैं। नौ रात्रियों का समाहार, समूह होने के कारण से द्वन्द्व समास होने के कारण यह शब्द पुलिंग रूप 'नवरात्र' में ही शुद्ध है।

नौ दिन या रात

अमावस्या की रात से अष्टमी तक या पड़वा से नवमी की दोपहर तक व्रत नियम चलने से नौ रात यानी 'नवरात्र' नाम सार्थक है। यहाँ रात गिनते हैं, इसलिए नवरात्र यानि नौ रातों का समूह कहा जाता है।

कन्या पूजन

अष्टमी और नवमी दोनों ही दिन कन्या पूजन और लोंगड़ा पूजन किया जा सकता है। अतः श्रद्धापूर्वक कन्या पूजन करना चाहिये।

नवरात्र कथाएं

मान्यता है कि नवरात्र में महाशक्ति की पूजा कर श्रीराम ने माता की उपासना की थी, इसलिए इस समय आदिशक्ति की आराधना पर विशेष बल दिया गया है। मार्कण्डेय पुराण के अनुसार, दुर्गा सप्तशती में स्वयं भगवती ने इस समय शक्ति-पूजा को महापूजा बताया है। कलश स्थापना, देवी दुर्गा की स्तुति, सुमधुर घंटियों की आवाज, धूप-बत्तियों की सुगंध – यह नौ दिनों तक चलने वाले साधना पर्व नवरात्र का चित्रण है।

हमारे सनातन धर्म में कोई भी पर्व हो उसका एक उद्देश्य होता है, अतएव नवरात्रि मनाने का भी एक उद्देश्य है। अवश्य पढ़े नवरात्रि मनाने का उद्देश्य क्या है?

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