उपनिषदों की संख्या कितनी हैं? - वेद अनुसार
उपनिषद् शब्द का साधारण अर्थ है - ‘समीप उपवेशन’ या 'समीप बैठना। चार वेद में भी एक वेद के चार भाग किये गए है उन्हें मन्त्र संहिता, ब्राह्मण, आरण्यक और उपनिषद् कहते है। वेद के अनुसार तो वेद के हर एक शाखा का एक उपनिषद् होता है। इस प्रकार जितने वेद के शाखाएं हैं उतने उपनिषद् होने चाहिए। परन्तु, भारत के इतिहास में मुगल तथा अंग्रेजों की वजह से वेदों की कई शाखाएं लुप्त हो गयी है। मुक्तिकोपनिषद में वेद के शाखाओं का वर्णन कुछ इस प्रकार मिलता है-
ऋग्वेदादिविभागेन वेदाश्चत्वार ईरिताः।
तेषां शाखा ह्यनेकाः स्युस्तासूपनिषदस्तथा॥११॥
ऋग्वेदस्य तु शाखाः स्युरेकविंशतिसङ्ख्यकाः।
नवाधिकशतं शाखा यजुषो मारुतात्मज॥१२॥
सहस्रसङ्ख्यया जाताः शाखाः साम्नः परन्तप।
अथर्वणस्य शाखाः स्युः पञ्चाशद्भेदतो हरे॥१३॥
एकैकस्यास्तु शाखाया एकैकोपनिषन्मता।
- मुक्तिकोपनिषद १.११-१४
संछिप्त भावार्थः - वेद चार कहे गए है - ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, और अथर्ववेद। उन चारों की अनेकों शाखाएँ हैं, और उन शाखाओं के उपनिषद् भी अनेकों हैं। ऋग्वेद की इक्कीस (२१) शाखाएँ हैं। यजुर्वेद की एक सौ नौ (१०९) शाखाएँ हैं। सामवेद से सहस्त्र (१०००) शाखाएँ निकली हैं। अथर्ववेद की शाखाओं के पचास (५०) भेद है। एक-एक शाखा की एक एक उपनिषद् मानी गयी है।
अतएव ऋग्वेद की २१, यजुर्वेद की १०९, सामवेद की १०००, अर्थववेद की ५० इस प्रकार ११८० शाखाएं हैं परन्तु आज १२ शाखाएं ही मूल ग्रन्थों में उपलब्ध हैं। इन सभी सखाओं के एक एक उपनिषद् होते हैं। उपर्युक्त मुक्तिकोपनिषद १.१४ के अनुसार एक-एक शाखा का एक-एक उपनिषद् होता है। तो ११८० उपनिषद् यही हो गए। फिर मन्त्र भाग और ब्राह्मण भाग इस भेद से एक उपनिषद् के कई उपनिषद् बन जाते हैं। फिर पूर्व तापीय और उत्त्तर तापनीय के भेद से एक उपनिषद् के कई भेद हो जाते है। लेकिन वो लुप्त हो गए। मुगलो ने और अंग्रेजो ने हमारे भारत पर जब हमला किया तो कई पुस्तकालय उन्होंने जलाया। बनारस (वाराणसी) के पुस्तकालय को उन्होंने ६ महीने तक जलाया। उनमे हमारे भारत के वेद रसायन शास्त्र, आर्युवेद, योग, खगोल शास्त्र के कई पुस्तके जल कर राख हो गये। कई ब्राह्मण ने भगवान के मुर्ती को खुद तोड़ देते थे और उन मूर्ति के नीचे वाले फर्श में वेदों को शास्त्रों को छुपाते थे, ताकि जब ये का आवे तो मूर्ति टूटा हुआ देख कर यह सोचे की हमरे लोगो ने पहले हमला करदिया है अब कही और चलते है।
अतएव उपनिषदों की कुल संख्या मुक्तिकोपनिषद के बताये वेद की शाखाओं के अनुसार तो ११८० उपनिषद् होते है, परन्तु इसके आलावा भी और उपनिषद् है। मुक्तिकोपनिषद में १०८ मुख्य उपनिषदों के नाम बताये गए है। उनमें से भी ११ मुख्य उपनिषद् है, जो की वर्तमान काल में प्राप्त है।