राम दोपहर में क्यों १ घंटा सोते थे, किस अवस्था में हमें सोना चाहिए?

विष्णु
श्री राम दोपहर में खाना खाने के बाद १ घंटा सोते थे। इसका कारण वामकुक्षी है। दरअसल, वामकुक्षी एक सोने या लेटने की अवस्था है, जिसमे सिर को बाएं हाथ पर रख कर लेटा जाता है। योग और आयुर्वेद की परंपरा में खाना खाने के बाद ली जाने वाली छोटी अवधि की नींद को वामकुक्षी कहा जाता है। भगवान विष्णु शेषनाग पर वामकुक्षी अवस्था में ही लेटते है। वामकुक्षी अवस्था में लेटने से सूर्य-नाड़ी सक्रिय हो जाती है, जिससे खाना पचाने में मदद मिलती है।

यद्यपि आप दोपहर को आराम नहीं कर सकते हों तो पूरे दिन में किसी भी भोजन के पश्चात १०-१५ मिनट के लिए वज्रासन में बैठ जाएँ। वैसे आपको वज्रासन में सुबह के नास्ते के बाद भी बैठना चहिये एवंम शाम को भी। लेकिन! वामकुक्षी अवस्था दोपहर के भोजन के लिए ही है, शाम के भोजन के लिए जो नियम है, परस्पर विपरीत है। शाम के भोजन के पश्चात कम से कम दो घंटे तक न सोयें। हाँ! आप २ घंटे बाद बाएं हाथ की ओर मुँह करके नींद ले सकते हैं, अर्थात् वही वामकुक्षी अवस्था।

श्री राम अवतार लेकर आये, उनको कोई सोने की आवश्यकता नहीं है। क्योंकि नींद तो पञ्च महाभूत माया के शरीर को आवश्यक है, श्री राम का शरीर पञ्च महाभूत माया का शरीर नहीं है। उनका शरीर दिव्य चिन्मय है। परंतु क्योंकि उनको लीला करनी है तो, वो सारे काम मनुष्य की भाति करते है। आज हमारा दिनचर्या इतना व्यस्त हो गया है कि हमको नींद लेने के लिए दवाईयां खानी पड़ रही है।

लोग, भगवान की दी गयी नींद को ये कह के टॉल देते है, की "जो सोया वो खोया" परंतु वे लोग ऐसा क्यों कहते हैं जरा विचार कीजिये? जो सोया वो क्या खोएगा? वह भौतिक सामान खोएगा! भौतिक सामान अर्थात् संसार का सामान :- मान-सम्मान, वैभव, पैसा आदि। जरा पूछ लो उन अमीर लोगों से "क्या हाल है तुम्हारा।" तो वे कहेंगे "नींद की गोली लेकर तो नींद आती है।" तो ये सब बातें निरर्थक है कि "जो सोया वो खोया" हमे कम से कम ७ घंटे की नींद लेनी चाहिए।

नींद लेना उतना ही अत्यंत आवश्यक है जितना जाग्रत अवस्था में कर्म करना।

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