आत्मा क्या है? क्या केवल आत्मा शरीर से जाती है?

सूक्ष्म शरीर क्या है?

❛क्या 'मैं' आत्मा, मन-बुद्धि या शरीर हूँ?❜ इस बात को तर्क से सिद्ध किया की हम शरीर (इन्द्रिय मन बुद्धि) नहीं है। अब हम वेदों शास्त्रों पुराणों के द्वारा सिद्ध करेंगे कि मैं कौन हूँ? कौन जाता है शरीर छोड़ने पर? आप कहेंगे 'मैं (आत्मा)'। संसार में लोग कहते हैं कि, "मरने के बाद शरीर से केवल मैं (आत्मा) जाती हैं।" यह बात लोग गलत बोलते हैं।

मैं कौन हूँ? आत्मा क्या है? वेदों शास्त्रों पुराणों गीता के द्वारा।

यह जीव (आत्मा) को एक दीपक का प्रकाश समझिये। जब एक कमरे में से यह दीपक निकल कर दूसरे कमरे में रख देते है। तो पहले कमरे में अंधकार हो जाता है और दूसरे कमरे में प्रकाश हो जाता हैं। इस बात को गीता २.२२ में कहा "जिस प्रकार मनुष्य पुराने वस्त्रों को त्याग कर नये वस्त्र धारण करता है, उसी प्रकार आत्मा पुराने शरीर को त्याग कर नवीन शरीर धारण करता है।"

कौषीतकि उपनिषद् ३.४ "जब जीव आत्मा शरीर छोड़ के जाता हैं, तो वह अपने साथ इन्द्रिय मन बुद्धि शरीर लेकर जाता है।" ये जो आत्मा इन्द्रिय मन बुद्धि लेकर जाता है इसको सूक्ष्म शरीर कहते है। हम लोग के ३ शरीर होते हैं, कारण-शरीर सूक्ष्म-शरीर और स्थूल-शरीर। जब यह शरीर मर जाता है अर्थात आत्मा जब शरीर से जाती है, तब सूक्ष्म शरीर को लेकर जाती हैं। हमारे इस शरीर को स्थूल शरीर कहते है, इस शरीर में सूक्ष्म शरीर भी रहता है। उस सूक्ष्म शरीर को आत्मा धारण किये रहती है। जब हमारा समय ख़तम हो जाता है, तो यह स्थूल शरीर को यह आत्मा छोड देती हैं। लेकिन उसके साथ वो सूक्ष्म शरीर लेकर निकलती है।

जब आप सो जाता है, तो सपना देखता है। उस समय आपका शरीर इन्द्रियाँ पलंग पर रहते। लेकिन आप पलंग से उठ कर जाते है, इंग्लैंड अमेरिका रूस आसमान में पाताल में जाते है। तो कैसे जाते है? सपने में आप देखते है, सुनते है, रसगुल्ला भी खाते होगें कभी-कभी और कभी मार भी खाते है। तो ये सारे बाते कैसे हुई, जबकि आपका शरीर यही पर है। अगर आप कहें कि मन ने किया, तो मन के पास ये स्पर्श, रस, देखने की इन्द्रिय नहीं है। देखना स्पर्श और रस लेने का कार्य इन्द्रिय का है। सूक्ष्म शरीर! सपना देखते वक्त भी हमारे शरीर में रहता है। लेकिन जो कुछ भी हम सपने में देखते सुनते स्पर्श करते है, वो सब सूक्ष्म शरीर के कारण होता है। सूरदास जी अंधे थे। लेकिन सपने में वो भी देखते होंगे। सूरदास जी अंधे होने के बावजूद स्वप्न में देखते थे क्योंकि सूक्ष्म इन्द्रिय मन बुद्धि थी। इसलिए केवल 'मैं' वो नहीं हैं। फिर मैं (आत्मा) कौन है?

जब महाप्रलय होता है, तब सूक्ष्म शरीर भी नहीं जाता। क्योंकि सूक्ष्म शरीर प्रकति (❛माया❜) का है। ये मन इन्द्रियाँ सब ❛माया❜ के बने हैं। भागवत २.९.१० "भगवान के राज्य में ❛माया❜ नहीं जा सकती।" ❛माया❜ का साम्राज्य ब्रम्हांड के अंतर्गत है। भागवत २.२.१७ "❛माया❜ भगवान के सामने नहीं खड़ी हो सकती।" भागवत १.७.२३ "काराणों अर्थात भगवान के महोदर में केवल मैं (आत्मा या जीव) अपने संस्कारों को लेकर जाता है और रहता हैं।" वहाँ सूक्ष्म शरीर भी नहीं जाता। तो वो जो काराणों में अर्थात भगवान के महोदर में आत्म या जीव गया, वो है 'मैं'। बाकि जो सूक्ष्म शरीर से युक्त इन्द्रिय मन बुद्धि और स्थूल शरीर से युक्त इन्द्रिय मन बुद्धि ये सब 'मैं' नहीं हैं। सूक्ष्म और स्थूल शरीर 'मैं' (आत्म या जीव) से युक्त हैं। सूक्ष्म और स्थूल शरीर केवल 'मैं' नहीं है।

तो मोटी अकाल से समझें अथवा तर्क से समझें तो 'मैं' मतलब "जो मेरा नहीं हैं वो 'मैं'" जब सब मेरा ख़तम हो जाये वो 'मैं'। और वेदों शास्त्रों पुराणों के अनुसार आत्मा 'मैं' हैं। गीता २.२३ "इस आत्मा को शस्त्र नहीं काट सकते, इसको आग नहीं जला सकती, इसको जल नहीं गला सकता और वायु नहीं सुखा सकता" अर्थात ये जीवात्म (आत्मा) परिवर्तनशील नहीं है। इसका शरीर परिवर्तनशील है, "आकर चारि लक्ष्य चौरासी ।योनि भ्रमत यह जीव अविनाशी।" यह आत्मा ८४ लाख शरीर में से कभी कुत्ता कभी बिल्ली कभी हाथी कभी मनुष्य आदि शरीर को धारण करता हैं।

ये ध्यान रहे कि 'मैं' कौन हूँ? इस प्रश्न का उत्तर केवल वेदों शास्त्रों के द्वारा ही जाना जा सकता है। अपने मन से, बुद्धि से, किसी यंत्र से नहीं देखा जा सकता क्योंकि आत्म या जीव जो 'मैं' हैं, यह सूक्ष्म से भी सूक्ष्म हैं। जब सूक्ष्म शरीर को ही नहीं देख सकते तो आत्मा को क्या हम देखेंगे। वेद कठोपनिषद् १.३.१०-११ और गीता ३.४२ कहते हैं "इन्द्रीओं से आगे है मन (मन इन्द्रीओं को चलता हैं) और मन से आगे है बुद्धि (यह निर्णय करती है) और बुद्धि के आगे हैं आत्मा" अर्थात मन-बुद्धि से आत्मा को नहीं जाना जा सकता। क्योंकि नहीं जाना जा सकता इसका एक कारण और है, आत्मा दिव्य है और हमारा मन-बुद्धि ❛माया❜ के बने हुए हैं। ❛माया❜ के बने वस्तु से दिव्य वस्तु नहीं जाना जा सकता।
जीवात्मा का क्या आकर हैं? इस प्रश्न को समझने के लिए पढ़े:- ❛जीव आत्मा का क्या आकार है? विभु, शरीराकार या अणु?❜

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