भगवान राम का जन्म कब और किस युग में हुआ? - वैदिक व वैज्ञानिक प्रमाण

राम का जन्म

वैदिक प्रमाण द्वारा राम का जन्म

राम का जन्म त्रेता युग में हुआ था। आदिकाव्य वाल्मीकीय रामायण में राम-जन्म के सम्बन्ध में निम्नलिखित वर्णन उपलब्ध है:-

नक्षत्रेऽदितिदैवत्ये स्वोच्चसंस्थेषु पञ्चसु।
ग्रहेषु कर्कटे लग्ने वाक्पताविन्दुना सह॥1.18.9॥

अर्थात् चैत्र मास की नवमी तिथि में, पुनर्वसु नक्षत्र में, पाँच ग्रहों के अपने उच्च स्थान में रहने पर तथा कर्क लग्न में चन्द्रमा के साथ बृहस्पति के स्थित होने पर (श्रीराम का जन्म हुआ)।

राम का जन्म त्रेता के अंत में हुआ था। वाल्मीकि जी लिखते है,

हत्वा क्रूरम् दुराधर्षम् देव ऋषीणाम् भयावहम्।
दश वर्ष सहस्राणि दश वर्ष शतानि च॥१-१५-२९॥

भावार्थ - देवताओं तथा ऋषियोंको भय देनेवाले उस क्रूर एवं दुर्घर्ष राक्षस का नाश करके मैं ग्यारह हजार वर्षोंतक इस पृथ्वीका पालन करता हुआ मन्युष्यलोकमें निवास करुँगा। अर्थात राम 11000 वर्षों तक पृथ्वी पर रहे।

युग, वैदिक धर्म (हिन्दू धर्म) सभ्यता के अनुसार, एक निर्धारित संख्या के वर्षों की कालावधि है। ब्रह्माण्ड का काल चक्र चार युगों के बाद दोहराता है। जिसमे चार युग होते है। यह चारो योग में कुल कितने समय होते है इस बारे में हमने अपने लेख में बता दिया है। अवश्य पढ़े हिन्दू वैदिक चार युग का कुल समय।

कलि युग - 432,000 मानव वर्ष का होता है। अभी-अभी कृष्ण द्वापर में हुए है। द्वापर युग - 864,000 मानव वर्ष का होता है। जब कृष्ण संसार से प्रस्थान किये तो कलियुग का प्रारम्भ हुआ। आज से लगबघ 5100 वर्ष पहले कृष्ण प्रस्थान किये थे। और जब राम संसार से प्रस्थान किये तब द्वापर युग प्रारंभ हुआ।

अतएव द्वापर 8,64,000 वर्ष का होता हैं। राम का जन्म त्रेता युग में अर्थात द्वापर से पहले हुआ था। राम रहे है 11000 वर्ष फिर द्वापर युग के अंत से अबतक कलियुग का 5100 वर्ष बीत चूका है। अतएव द्वापर युग के 8,64,000 वर्ष + राम रहे 11000 वर्ष + द्वापर युग के अंत से अबतक 5100 वर्ष बीत चुके है तो कुल हुआ 880100 वर्ष।

अतएव वेदों पुराणों के ज्ञान अनुसार राम का जन्म आज से लगभग 880100 वर्ष पहले हुआ है।

राम के जन्म-समय पर आधुनिक वैज्ञानिक शोध

मराठी शोधकर्ता विद्वान डॉ० पद्माकर विष्णु वर्तक ने एक दृष्टि से वैदिक राम जन्म के समय को संभाव्य माना है। उनका कहना है कि वाल्मीकीय रामायण में एक स्थल पर विंध्याचल तथा हिमालय की ऊँचाई को समान बताया गया है।

विंध्याचल की ऊँचाई 2467 फीट है तथा यह प्रायः स्थिर है, जबकि हिमालय की ऊँचाई वर्तमान में 29,029 फीट है तथा यह निरंतर वर्धनशील (वर्धमान) है। दोनों की ऊँचाई का अंतर 26,562 फीट है। विशेषज्ञों की मान्यता के अनुसार 100 वर्षो में हिमालय 3 फीट बढ़ता है। अतः 26,562 फीट बढ़ने में हिमालय को करीब 8,85,400 वर्ष लगे होंगे। अतः अभी से करीब 8,85,400 वर्ष पहले हिमालय की ऊँचाई विंध्याचल के समान रही होगी, जिसका उल्लेख वाल्मीकीय रामायण में वर्तमानकालिक रूप में हुआ है। इस तरह डाॅ० वर्तक को एक दृष्टि से यह समय संभव लगता है, परंतु उनका स्वयं मानना है कि वे किसी अन्य स्रोत से राम के जन्म के समय की पुष्टि नहीं कर सकते हैं।

डॉ० पी० वी० वर्तक के शोध के अनेक वर्षों के बाद (2004 ईस्वी से) 'आई-सर्व' के एक शोध दल ने 'प्लेनेटेरियम गोल्ड' सॉफ्टवेयर का प्रयोग करके श्री राम का जन्म 10 जनवरी 5114 ईसापूर्व में सिद्ध किया। उनका मानना था कि इस तिथि को ग्रहों की वही स्थिति थी जिसका वर्णन वाल्मीकीय रामायण में है। परंतु यह समय काफी संदेहास्पद हो गया है।

'आई-सर्व' के शोध दल ने जिस 'प्लेनेटेरियम गोल्ड' सॉफ्टवेयर का प्रयोग किया वह वास्तव में ईसा पूर्व 3000 से पहले का सही ग्रह-गणित करने में सक्षम नहीं है। वस्तुतः 2013 ईस्वी से पहले का ग्रह-गणित करने हेतु यह सॉफ्टवेयर सक्षम ही नहीं था। इस गणना द्वारा प्राप्त ग्रह-स्थिति में शनि वृश्चिक में था अर्थात उच्च (तुला) में नहीं था। चन्द्रमा पुनर्वसु नक्षत्र में न होकर पुष्य के द्वितीय चरण में ही था तथा तिथि भी अष्टमी ही थी।

बाद में अन्य विशेषज्ञ द्वारा ejplde431 सॉफ्टवेयर द्वारा की गयी सही गणना में तिथि तो नवमी हो जाती है परन्तु शनि वृश्चिक में ही आता है तथा चन्द्रमा पुष्य के चतुर्थ चरण में। अतः 10 जनवरी 5114 ईसापूर्व की तिथि वस्तुतः श्रीराम की जन्म-तिथि सिद्ध नहीं हो पाती है।

वैज्ञानिक आज कुछ कहते है तो कल कुछ कहते है। आज ये सही है तो कल ये सही है, इन वैज्ञानिको के शोध में ही एकता नहीं है। वैज्ञानिको का जो भी मत हो, लेकिन राम का जन्म वेदों पुराणों के ज्ञान अनुसार आज से लगभग 880100 वर्ष पहले हुआ है।

अवश्य पढ़े क्या भगवान राम की बहन शान्ता है? - प्रमाण वाल्मीकि रामायण और क्यों रामचरितमानस में नहीं लिखा राम की बहन शान्ता का प्रकरण?

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