भगवान लक्ष्मण जी की मृत्यु कैसे हुई? राम कथा
![लक्ष्मण जी की मृत्यु कैसे हुई? लक्ष्मण जी की मृत्यु का सच](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh24p32w3c1R0YCA9dsbJLg_4tj1LmKC1a7S7uWJGPKLcZNukl44_Th1-X1iYRlhEw7SCLzfo2dUGwBYpVXW6aBSBxNTLFpF29b-kL-ADcBm9Q0xWUBb-V9fcON3jEasIP8Gfg5zkuYZRdt/s640-rw/lakshman-mrtu.jpg)
लक्ष्मण जी की मृत्यु कैसे हुई? मृत्यु का अर्थ है समाप्ति। क्योंकि भगवान और आत्मा की मृत्यु नहीं होती। अतएव यह प्रश्न करना गलत हो गया की 'लक्ष्मण जी की मृत्यु कैसे हुई?' लेकिन यह प्रश्न मन में जरूर उठता है की लक्ष्मण जी यह संसार से कैसे अलक्षित (आँखों से ओझल) हो गए या लक्ष्मण जी ने अयोध्या छोड़ कर वैकुण्ठ लोक कैसे गये या लक्ष्मण जी ने प्रस्थान कैसे किया? तो इस बारे में वाल्मीकि जी ने रामायण में विस्तार पूर्वक बताया है।
लक्ष्मण की मृत्यु कैसे हुई?
वाल्मीकि रामायण के अनुसार एक बार यमराज ब्रह्मा जी का संदेश लेकर यमराज एक ऋषि का भेष बनाकर राम से एकांत में वार्ता करने की इच्छा प्रकट की और यह शर्त भी रखा की जो भी व्यक्ति उनकी (राम और ऋषी के बिच की) बात सुनेगा उसे मृत्यु दंड दिया जाये। इस शर्त को राम स्वीकार कर ऋषि के साथ एकांत कमरे में वार्तालाप करने लगे और लक्ष्मण को आज्ञा दी की द्वार से कोई आने न पाये। उसी समय महर्षि दुर्वासा राज महल में आये और लक्ष्मण से कहा कि श्री राम से कहो की महर्षि दुर्वासा उनसे भेठ करना चाहते है। लक्ष्मण जी ने अनेक बार उनको कुछ देर रुकने को कहा। परन्तु महर्षि दुर्वासा ने जब कहा कि मेरे श्राप से यह पूरी अयोध्या को नस्ट कर दुगा। तब लक्ष्मण जी दुर्वासा जी के श्राप के भय से ऋषि (यमराज) के शर्त को भंग कर श्री राम के पास महर्षि दुर्वासा की सुचना दी। तभी यमराज वहाँ से अलक्षित हो जाता है और राम तुरंत महर्षि दुर्वासा से मिलने जाते है। वाल्मीकि रामायण - उत्तरकाण्ड सर्ग ९०५
अद्य वर्षसहस्रस्य समाप्तिर्मम राघव।
सोऽहं भोजनमिच्छामि यथासिद्धं तवानघ॥७.१०५.१३॥
भावार्थ:- दुर्वासा जी कहते है श्री राम से 'निष्पाप रघुनंदन! मैंने एक हजार वर्षों तक उपवास किया है। आज मेरे उस व्रत की समाप्तिका दिन है, इसलिए इस समय आपके यहाँ जो भी भोजन तैयार हो, उसे मैं ग्रहण करना चाहता हूँ।'
तच्छ्रुत्वा वचनं रामो हर्षेण महतान्वितः।
भोजनं मुनिमुख्याय यथासिद्धमुपाहरत्॥७.१०५.१४॥
भावार्थ:- यह बात सुनकर श्री रघुनाथ जी मन-ही-मन प्रसन्न हुए और उन्होंने उन मुनिश्रेष्ठ को तैयार भोजन परोसा।
मुनिश्रेष्ठ दुर्वासा जी के जाने के बाद राम दरबार में लक्ष्मण के शर्त उलंघन पर चर्चा हुई। सबका निर्णय यह था की लक्ष्मण जी को अगर श्री राम त्याग दे तो वह वध के समान होगा। इसलिए राम ने लक्ष्मण जी से कहा कि जाओ मैं तुम्हारा परित्याग कर देता हूँ। श्रीराम के इतना कहने पर लक्ष्मण जी के आखों में आँसू आ गये और वो वहाँ से चल दिए।
स गत्वा सरयूतीरमुपस्पृश्य कृताञ्जलिः।
निगृह्य सर्वस्रोतांसि निःश्वासं न मुमोच ह॥७.१०६.१५॥
अनिःश्वसन्तं युक्तं तं सशक्राः साप्सरोगणाः।
देवाः सर्षिगणाः सर्वे पुष्पैरवकिरंस्तदा॥७.१०६.१६॥
भावार्थ:- लक्ष्मण जी सरयू के किनारे जाकर उन्होंने आचमन किया और हाथ जोड़ सम्पूर्ण इन्द्रियों को वश में करके प्राणवायु को रोक लिए। लक्ष्मण जी ने योगयुक्त होकर साँस लेना बंद कर दिया- यह देख इंद्र आदि सब देवता ऋषि और अप्सराये उस समय फूलो की वर्षा करने लगी।
अदृश्यं सर्वमनुजैः सशरीरं महाबलम्।
प्रगृह्य लक्ष्मणं शक्रो दिवं सम्प्रविवेश ह॥७.१०६.१७॥
भावार्थ:- महाबली लक्ष्मण अपने शरीर के साथ ही सब मनुष्यो की द्रष्टि से ओझल हो गये। उस समय देवराज इंद्र उन्हें साथ लेकर स्वर्ग में चले गये।
७.१०६.१७- यह श्लोक में वाल्मीकि जी कहते है कि लक्ष्मण अपने शरीर के साथ ही सब मनुष्यों की द्रष्टि से ओझल हो गये। अतएव लक्ष्मण जी मरे नहीं है वो शरीर सहित स्वर्ग में चले गये। स्वर्ग में कोई भी व्यक्ति मनुष्य शरीर के साथ नहीं जा सकता। उसको दिव्य शरीर चाहिए तभी वो स्वर्ग जा सकता है। अतएव यहाँ पर यह भी सिध्य हो जाता है की लक्ष्मण जी मानव (मनुष्य) की भाती दीखते थे लेकिन वो दिव्य शरीर वाले है।
ततो विष्णोश्चतुर्भागमागतं सुरसत्तमाः।
हृष्टाः प्रमुदिताः सर्वेऽपूजयनृषिभिः सह॥७.१०६.१८॥
भावार्थ:- भगवान विष्णु के चतुर्थ (चौथे) अंश लक्ष्मण को आया देख सभी देवता हर्ष से भर गये और उन सबने प्रसन्नतापूर्वक लक्ष्मण की पूजा की।
७.१०६.१८- इस श्लोक में विचार योग्य एक बात वाल्मीकि जी ने लिखा कि लक्ष्मण जी विष्णु के चतुर्थ (चौथे) अंश है। अर्थात चारों (राम लक्ष्मण भरत शत्रुघ्न) भगवान विष्णु ही है। अतएव राम लक्ष्मण भरत शत्रुघ्न एक है - इस बारे में हमने विस्तार पूर्वक आपको अपने लेख में बताया है क्या राम लक्ष्मण भरत शत्रुघ्न विष्णु के अवतार है? - वाल्मीकि रामायण प्रमाण
अवश्य पढ़े भगवान श्री राम जी की मृत्यु कैसे हुई? राम कथा और क्या भगवान राम का शरीर प्रकृति मनुष्य का शरीर था या दिव्य था।